मनवा लागे¶
मनवा लागे.. ओ मनवा लागे लागे रे सांवरे लागे रे सांवरे ले तेरा हुआ जिया का जिया का, जिया का ये गांव रे
मनवा लागे..ओ मनवा लागे लागे रे सांवरे लागे रे सांवरे ले तेरा हुआ जिया का, जिया का, जिया का है दांव रे
मुसाफिर हूं मैं दूर का दीवाना हूं मैं धूप का मुझे ना भाए.. ना भाए, ना भाए छांव रे
मन के धागे, ओ मन के धागे धागे पे सांवरे धागे पे सांवरे है लिखा मैंने तेरा ही, तेरा ही, तेरा ही तो नाम रे
ऐसी कैसी बोली तेरे नैंनो ने बोली जाने क्यों मैं डोली ऐसा लगे तेरी हो ली मैं, तू मेरा..
तूने बात खोली कच्चे धागों में पिरो ली बातों की रंगोली से ना खेलूं ऐसे होली मैं ना तेरा..
किसी का तो होगा ही तू क्यूं ना तुझे मैं ही जीतूं खुले खाबों में जीते हैं, जीते हैं बावरे
मनवा लागे.. मनवा लागे लागे रे सांवरे लागे रे सांवरे ले तेरा हुआ जिया का, जिया का, जिया का ये गांव रे
रहूं मैं तेरे नैनों की, नैनों की, नैनों की छांव रे...