जागो मोहन प्यारे¶
जागो ... जागो जागो
जग उजियारा छाए मन का अँधेरा जाए किरनों की रानी गाए जागो हे मेरे मन मोहन प्यारे
जाग रे जाग रे सब कलियाँ जागी नगर नगर सब गलियाँ जागी जाग रे जाग रे जाग रे, जाग रे जाग रे जाग जाग
जागो मोहन प्यारे नवयुग चूमे नैन तिहारे
जिसने मन का दीप जलाया दुनिया को उसने ही उजला पाया मत रहना अँखियों के सहारे
किरन परी गगरी छलकाये ज्योत का प्यासा प्यास बुझाये फूल बने मन के अंगारे