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जवानी जान-ए-मन

जवानी जान-ए-मन हसीन दिलरुबा
मिले तो दिल जवाँ निसार हो गया
शिकारी खुद यहाँ शिकार हो गया
ये क्या सितम हुआ, ये क्या ज़ुलम हुआ
ये क्या गज़ब हुआ, ये कैसे कब हुआ
न जानूँ मैं..... न जाने वो... आ हा

आई आई दूर से देखो दिलरुबा ऐसी
खाई बेजुबाँ दिल ने चोट ये कैसी
अरे हो आ आ मिली नज़र
अरे ये आ आ हुआ असर
नज़र नज़र में ये समां बदल गया
चलाया तीर जो मुझी पे चल गया
गजब हुआ ये क्या हुआ ये कब हुआ
न जानूँ मैं..... न जाने वो... ओ हा

दिल ये प्यार में कैसे खोता है देखो
क़ातिल जान-ए-मन कैसे होता है देखो
अरे हो हा हा मिला सनम
अरे ये हा हा हुआ सितम
वो दुश्मन-ए-जानां दिलदार हो गया
सैयाद को बुलबुल से प्यार हो गया
गजब हुआ ये क्या हुआ ये कब हुआ
न जानूँ मैं..... न जाने वो...आ हा