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चली चली फिर चली

चली चली फिर चली चली
चली इश्क़ दी हवा चली
अपने दिलबर को दीवाना
ढूँढता दिल गली-गली
चली चली...

कोई शीरीं, कोई लैला
कोई मजनू, कोई छैला
कोई आशिक़, कोई रांझा
सब के दिल में खलबली
चली चली...

मैं हमेशा तुमको चाहूँ
एक लम्हाँ ना भुलाऊँ
तेरी चाहत में दिन गुज़रा
याद में शब ढली-ढली
चली चली...

एक मस्ती एक अदा है
ये जवानी एक नशा है
आ मेरी बाहों में आजा
देख मेरी बेकली
चली चली...